Wednesday 9 October 2013

क्या राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनने के लिए मानसिक तौर पर तैयार हैं ?


चित्र साभार गूगल
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने साफ संकेत दिया है कि वो सरकार की कमान संभालने के लिए तैयार हैं। रामपुर में एक रैली को संबोधित करते हुए राहुल ने जोर देकर कहा कि 2014 में युवाओं की सरकार बनेगी जो देश को बदल देगी। माना जा रहा है कि इस बयान के जरिये राहुल ने इशारा किया है कि वे पीएम बनने के लिए तैयार हैं। जबकि बीजेपी ने इस दावे को मुंगेरीलाल का हसीन सपना बताया है। सवाल है कि क्या 2014 में कांग्रेस राहुल गांधी की अगुवाई में ही चुनाव लड़ने जा रही है।
क्या अब नमो नम: के दौर में राहुल गांधी खुद को उस पद के लिए तैयार पा रहे हैं। क्या राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनने के लिए मानसिक तौर पर तैयार हो गए हैं। गुरुवार को राहुल का खुद का एक बयान इस यक्ष प्रश्न का जवाब दे गया। राहुल ने उत्तर प्रदेश के रामपुर में एक चुनावी जनसभा में दावा किया कि 2014 में न सिर्फ यूपीए की बल्कि युवाओं की सरकार बनेगी। ऐसी सरकार जो देश को बदल देगी। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी पिछले दिनों बयान दे चुके हैं कि उन्हें राहुल के नेतृत्व में काम करने पर खुशी होगी। दागियों को राहत देने वाले अध्यादेश को बकवास करार देकर राहुल ने कैबिनेट का फैसला बदलने पर मजबूर कर दिया। इस घटना ने साफ कर दिया कि राहुल गांधी की हैसियत सरकार से बड़ी है। बहरहाल, राहुल के ताजा बयान ने साफ कर दिया कि वे अब असल में सरकार बनने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। लेकिन बीजेपी तो राहुल के इरादे को मुंगेरी लाल के हसीन सपने बताकर खारिज कर रही है।
भले ही कांग्रेस या यूपीए ने 2014 के चुनाव के लिए राहुल को प्रधानमंत्री पर का उम्मीदवार घोषित नहीं किया है लेकिन राहुल के बोलने और विपक्ष पर हमले करने का अंदाज साफ कर रहा है कि ये चुनाव उनके ही इर्द-गिर्द लड़ा जाएगा। चुनावी मंच से राहुल केंद्र सरकार के सिरमौर की तरह ही केंद्र की योजनाओं के गुण गाते नजर आए। वहीं लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने ट्वीट कर कहा कि राहुल को सच बोलना चाहिए। भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर खुद केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने समर्थन देने के लिए खुद बीजेपी नेताओं का आभार जताया था।
जाहिर है, बीजेपी राहुल के दावे को गंभीरता से लेते नहीं दिखना चाहती। लेकिन राहुल जिस तरह ताबड़तोड़ जनसभाएं करते हुए विपक्ष पर हमला बोल रहे हैं, उससे मोदीमय दिख रहे चुनावी माहौल में नया रंग तो आया ही है।
गुरुवार को राहुल ने रामपुर के साथ-साथ अलीगढ़ में भी रैली की जो अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्र हैं। एक दिन पहले उन्होंने दिल्ली की एक जनसभा में दलितों से जुड़े मुद्दों को जोरदार ढंग से उठाया था। साफ है कि राहुल कांग्रेस के खोये सामाजिक जनाधार को पाने की कोशिश मे जुटे हैं। साथ ही बीजेपी के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को सीधी चुनौती भी दे रहे हैं जो खासतौर पर युवा उम्मीदों पर सवार होकर दिल्ली के तख्त तक पहुंचना चाहते हैं।

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